शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

प्यार के मायने ..!!

'प्यार' का अर्थ..,
" मांडू" और "ताजमहल" कि दीवारों पर
लिख दिया इतिहासकारो ने..!!,

प्यार के 'जानकारो' ने,
पढाये हमें ,
'उच्चतम' शिखर पर,
कलश में मढे कुछ 'नाम',
"लैला-मजनू","शीरी -फरियाद",
"सलीम -अनारकली" ..,
'वगैरह,वगैरह'....!!

बचपन से ,.....
'पहाड़ो' कि तरह,
रटे रहे यही नाम,
और ..
यादो के बस्ते में,
'ठुंसे' रहे यही कागज़..,'

टपकते' रहे
'फटे' बस्ते से ..,
यहाँ-वहा-सब जगह ..,
'पेंसिल' और 'रबर ' की तरह.
कि .....,
-प्यार के मायने..,
एक 'नर' और एक 'मादा'

'निश्छल' चांदनी से नहाए ,
'बृक्षों ' के झुण्ड,
खिलखिलाती नदी,
'गरजते' समुद्र,
'गुनगुनाती धुप' सेकते,
' उतंग शिखरों' से
जब हो गया प्यार मुझे,
तो
'हंस' दी दुनिया....
मेरी 'नासमझी' पर..

प्यार के "प्रश्न - चिन्ह' ने ,
'उकसाया' मुझे,
प्यार के कुछ 'सवाल' को 'हल करने के लिए,

और 'मै' ढूंढ़ता रहा ...,
कलश पर खुदे नामों के बीच .....,
कुछ और बात..,

'भरत' की नंगे पैर 'मनुहार',
और 'मूर्छित- लक्षमण ' कि ' छाती ' पर,
'राम' कि अनवरत 'हिचिकिया'
'अतीत' के 'धुंए में विलीन हुए',
'सुदामा ' के दो 'मुठ्ठी चावल'..,
'सत्य' के प्रेम में 'दीवाने' ,
'हरिश्चंद्र' का 'मृत्युकर' मांगता हाथ..,
'योग' था कि 'संयोग '
प्यार के 'सम्राटो' कि 'वंशावली' में
लिखना भूल गए थे लोग,..

प्यार के
नीम - हकीमों ने ,
प्यार के बनाए .. हजारो नुस्खे,
बाज़ार में बेचने के लिए,
और प्यार ,
जो था 'अविनाशी अमृत घट',
बन गया..,
"प्रेम रोग'
सबके लिए ॥!!

-----सभाजीत

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